रेगिस्तान, जहाँ जीवन एक उत्सव है

रेगिस्तान... जहाँ जीवन एक उत्सव है. 
मै मूलतः रेगिस्तान से हि नाता रखता हूँ. पुरे साल में कुल मिलाकर मेरा एक महिना वहीं पर बीतता है जिससे मुझे रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के बारे में काफी हद तक पता है.  जहाँ तक शीर्षक का सवाल है तो ऐसा इसलिए लिखा है क्योंकि यहाँ के लोगों की पूरी दिनचर्या से मै वाकिफ हूँ उदाहरण के तौर पर कोई भी काम करेंगे तो उसमे भी संगीत साथ में रहेगा, जैसे पनिहारी पानी भरने जाएगी तो अपने लोकगीत गाते हुए जाएगी, खेत में काम करते हुए भी लोग गाते रहेंगे, काम पूरा होने पे खेतों में हि खाना बनता है और सब लोग मिलकर खाते है. और मजेदार बात तो ये है कि हर काम के लिए अलग-अलग लोकगीत बने हुए है. तनाव कि स्तिथि आने के बहुत कम अवसर आते है लोगों में आपसी सहयोग कि भावना बहुत ज्यादा होती है. सच बताऊँ तो मुझे तो उनकी दिनचर्या हि एक त्योंहार कि तरह प्रतीत होती है.

हिंदुस्तान के उत्तरपश्चिमी भाग में स्थित यह एक विशाल रेगिस्तान है. यह दुनिया का नौवां सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय रेगिस्तान है. इसका क्षेत्रफल २००,००० वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है. थार ज्यादातर भारतीय राष्ट्र के राजस्थान राज्य में तथा इसका कुछ भाग हरियाणा, पंजाब, और उत्तरी गुजरात राज्यों में स्थित है. जैवविविधता में रेगिस्तान को कोल्ड स्पोट कहा जाता है, यहाँ पर पैदा होने वाले विभिन जीव जंतुओं को प्रेरणादायक प्रजातियाँ माना जाता है क्योंकि इतनी विपरीत परिस्थितियाँ होने के बाद भी ये प्रजातियाँ यहाँ अपना जीवन यापन करती है. रेगिस्तान लगभग १४१ प्रजातियों के लिए स्वर्ग है इसमें अपर्वासी एवं परवासी पर्जतियाँ सम्मिलित है.

यहाँ पर गावों में घरों कि संख्या कम होती है जिसकी वजह से उन्हें “ढाणी” कहा जाता है, गांवों में खेती भी होती है जो कि मुख्यतः वर्षा पर आधारित होती है. रेगिस्तान में मुख्य फसलें जेसे चन्ना, ग्वार, बाजरा, मूंग, मोठ इत्यादि उगाई जाती है.

रेगिस्तान में लोग विपरीत परिस्तिथियों में भी आनंदमयी जीवन व्यतीत करते है जबकि वहां पर इतनी सारी मुश्किलों भरा जीवन होता है. थार में उत्सवधर्मी लोग रहते है, ऐसा माना जाता है कि हर तीसरे दिन यहाँ कोई न कोई उत्सव होता है. थार के ग्रामीण आँचल का अगर नजदीकी से अध्यन किया जाए तो पता चलता है कि केसे यहाँ पे लोग इतना खुशहाल जीवन व्यतीत करते है ?

पर्यावरण की दृष्टि से इस प्रदेश के लोगों ने प्राचीन समय से ही शुद्ध पानी, अनाज, और दैनिक जीवन में काम आने वाली खाद्य और पेय से सम्बंधित चीजों का मितव्यता और सदुपयोग प्राचीन समय से ही शुरू कर दिया था. पानी की बात की जाये तो परम्परागत जलस्त्रोत जैसे कुंड, जोहड़, पक्के तालाब, गहरे कुँए बनाये जाते थे और इनको साफ-सुथरा रखने के लिए विशेष प्रबंध किया जाता था. जलस्त्रोतों की पूजा करना और इनकी देखभाल यहाँ के लोगों की आदतों में अभी भी नजर आता है. थार के कुछ क्षेत्रों में पशुपालन हि मुख्य कार्य है जैसे भेड़, बकरी, गाय, ऊंट यहाँ के प्रमुख पालतू पशुओं में होते थे और उनको समूह में रखकर देखभाल की जाती थी, इनसे दूध, घी और उन प्राप्त होता था.

आज से कुछ ही समय पहले की बात ह की यहाँ घी, दूध सस्ता और पानी महंगा हुआ करता था.थार का उदार करने वाली मरू गंगा यानि “इंदिरा गाँधी नाहर परियोजना” के कारण से कुछ जिले जैसे गंगा नगर, हनुमानगढ, बीकानेर, जैसलमेर जिलों में सिंचाई सुविधा होने के कारण खाद्यान समस्या व पशुचारे जेसी समस्याओं का निवारण हुआ है.

लेखक // शैलेन्द्र कुमार राजस्थान से है. वह GIS और पर्यावरण में रुचि रखते है. बीएचयू से एमएससी पूरा कर लिया है. पंजाबी गाना पसंद है.


Title: The Desert, Where Life is a Celebration
Written by Shailender Kumar
Photo by Shailender Kumar
Key Words: desert, blog, Rajasthan, India, water, culture, ecosystem, registan, thar, pani, sanskriti

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